ऑनलाइन वोटिंग क्या है क्या इलेक्शन में भी ऑनलाइन वोटिंग हो सकती है इन सभी बातों पर आज की इस पोस्ट में हम विस्तार के साथ बात करेंगे और जानेंगे कि क्या ऑनलाइन वोटिंग हमारे देश भारत में चुनाव के दौरान हो सकती है.
देश में आम चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है और अब पूरे भारतवर्ष में आने वाले समय में कौन सी पार्टी की सरकार होगी या फिर कौन से गठबंधन की सरकार होगी उसे देश की जनता को चुनना है.
लेकिन इस बीच में सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि भारत में इस बार के चुनाव में जो विदेश में रहते हैं भारतीय वह ऑनलाइन वोटिंग कर सकते हैं.
शायद आपको भी यह खबर व्हाट्सएप या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मिली होगी कि इस बार के चुनाव में चुनाव आयोग विदेश में रहते भारतीयों को ऑनलाइन वोटिंग कराने की सुविधा देने वाला है.
लेकिन दोस्तों हम इस खबर पर आपको जानकारी दे देना चाहते हैं क्योंकि इसी तरह की कोई भी खबर चुनाव आयोग के द्वारा नहीं दी गई है.
सिर्फ चुनाव आयोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन यानी कि ऑनलाइन अपना वोटर कार्ड या फिर आने वाले लोकसभा चुनाव में वह भारतीय नागरिक है तो वह ऑनलाइन अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है.
लेकिन अभी तक भारतीय चुनाव आयोग ने ऐसी कोई भी सुविधा नहीं दी है जिसकी मदद से कोई भी विदेश में रहने वाला भारतीय ऑनलाइन वोटिंग कर सकें तो यह खबर गलत है लेकिन आज हम इस पोस्ट में आपको यह बताने वाले हैं कि क्या भारत में चुनाव में कभी ऑनलाइन वोटिंग भी हो सकेगी.
सबसे पहले तो आप के मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिरकार ऑनलाइन वोटिंग है क्या तो आपको हम सरल भाषा में बता दे कि आप घर बैठे ही इंटरनेट के माध्यम से वोट कर सकते हैं उसे ऑनलाइन वोटिंग कहा जाता है.
आपको पता ही होगा कि भारत में मीडिया चैनल अक्सर अपने चैनल पर किसी टॉपिक पर वोटिंग कराते रहते हैं और वह लोगों से मैसेज या फिर ऑनलाइन वोटिंग कर आते हैं.
मौजूदा समय में भारतीय मीडिया टि्वटर पर लोगों से अपनी राय कर आता है यानी कि ट्विटर के माध्यम से वोटिंग कर आता है दोस्तों आपको हम बता दे जितनी भी सोशल मीडिया साइट या फिर जो इंटरनेट से कनेक्ट है और वहां पर जो वोटिंग होती है उसे ऑनलाइन वोटिंग कहा जाता है.
जिस तरह से दुनिया काफी तेजी से आगे बढ़ रही है और आधुनिक तकनीक को अपना रहे हैं तो ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में जरूर भारतीय चुनाव आयोग भी इस तरफ सोचने पर मजबूर होगा और ऑनलाइन वोटिंग कराने की भी सुविधा प्रदान करेगा.
हालांकि हम आपको बता दे भारत में इस तरह की सुविधा मौजूदा समय में चुनाव आयोग करता है तो उसे इतनी कामयाबी नहीं मिल सकती है इसकी बड़ी वजह है अभी भी भारत में काफी लोग टेक्नोलॉजी से दूर हैं.
और भारत में अभी तक साक्षरता भी इतनी ज्यादा नहीं है कि लोगों को ऑनलाइन वोटिंग के लिए प्रेरित किया जाए लेकिन खबर सोशल मीडिया पर यह भी वायरल हुई थी कि आने वाले 20 सालों के बाद भारत में यह संभव हो सकता है कि चुनाव आयोग ऑनलाइन वोटिंग करा सकता है.
चुनावों में पूरे देश में मुद्दे भले ही अलग-अलग रहे हों पर एक बात लगभग सारे देश में एक जैसी ही रही कि वोटरों ने अपने घरों से निकल कर पोलिंग बूथ तक जाने में कम रूचि दिखाई देती है.
नेता, अभिनेता, स्वयंसेवी संगठनों और एनजीओ की लाख कोशिशों के बावजूद चुनाव में वोट प्रतिशत नहीं बढ़ा पाते है शायद अब समय कुछ नया सोचन का है.
इस बार की सारी कोशिशें पुराने तौर-तरीकों में नया जोश भरने भर की ही थीं और यह भी साफ हो गया कि इस तरीके में बहुत ज्यादा कुछ हासिल करने की संभावनाएं नहीं हैं.
जमाना बदल गया है इसलिए पुराने तौर-तरीकों से आगे बढकर कोई पहल करनी होगी आज दुनिया भर के कई विकसित लोकतंत्र ई-वोटिंग के विकल्प पर विचार कर रहे हैं कई देशों में तो ई-वोटिंग शुरू भी हो चुकी है.
इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता ने ई-डेमोक्रेसी के कॉन्सेप्ट को जन्म दिया है इंग्लैंड में 2007 के निकाय चुनावों में वोट डालन के लिए परम्परागत तरीके के अलावा ई-वोटिंग का भी सहारा लिया गया.
इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने 65 अलग-अलग जगहों पर 300 लैपटॉप और कंप्यूटरों की व्यवस्था करवाई इन लैपटॉप और कंप्यूटरों का इस्तेमाल लोगों ने साइबर कैफे की तर्ज पर किया वहां पर पहुंचकर लोगों ने अपना वोट एक क्लिक के जरिये ज्यादा आसानी से डाला है.
इंग्लैंड के अलावा स्वीडन,नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड में भी वोट डालन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल शुरू हो चुका है इसके साथ ही अमेरिका में वर्ष 2008 के चुनाव में युवाओं को रिझान के लिए ओबामा की टीम ने ऑनलाइन केंपेनिंग की शुरुआत की है.
वोटरों तक पहुंचने के लिए इंटरनेट के महत्व को समझा गया है यू-टय़ूब जैसी फेमस साइट्स पर पार्टियों और नेताओं के फुटेज देखे जा सकते हैं 2014 आम चुनावों में एक खास वर्ग तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया.
लेकिन इंटरनेट के जरिये वोट डालना कब तक शुरू होगा ये एक सवाल है जिसे अपने मतदान अधिकार क्षेत्र से दूर रह रहे मतदाता जानना चाहते हैं.
क्या ये अगले आम चुनावों तक संभव हो पाएगा हालांकि इंटरनेट का विस्तार अब लगभग पूर देश में हो गया है लेकिन इसकी अच्छी बैंडविड्थ और भरोसेमंद सेवा अभी भी हर जगह उपलब्ध नहीं है.
डिजिटल डिवाइड का सवाल अभी भी बना हुआ है भले ही कई इलाकों में इंटरनेट पंहुच चुका है लेकिन फिर भी आबादी के एक बड़े तबके के लिए अभी भी कंप्यूटर इंटरनेट एक अजूबे की तरह है.
उसके बावजूद कई विशेषज्ञों की राय है कि अगर ऑन लाइन वोटिंग शुरू होती है तो उसका लाभ देश के कम स कम 20 फीसदी लोग उठा सकते हैं.
जब एक-एक वोट मायने रखता है तो 20 फीसदी से तो राजनैतिक समीकरण ही बदल सकते हैं यह तरीका खासकर शहरी क्षेत्रों में ज्यादा उपयोगी हो सकता हैं जिनके लिए वोट डालने के तमाम अभियान चले और नाकाम रहे है.
जब वोटरों का एक खास तबका एसी की ठंडक छोड़ धूप में बाहर आकर वोट डालना नहीं चाहता तो क्यों न इंटरनेट के जरिये उनके घरों तक पहुंचकर उनका वोट ले लिया जाए इस सुविधा के शुरू होने से एनआरआई, सैनिक और अपने होम टाउन से दूर रह रहे लोग भी मताधिकार का इस्तेमाल कर पाएंगे.
वैसे यह मसला सुविधासंपन्न वर्ग को एक और सुविधा सौंपने भर का नहीं है यह मसला लोकतंत्र की व्यवस्थाओं को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का भी है जो अगर चल गया तो चुनाव के खर्च और भारी ताम-झाम को कम कर सकता है.
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